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Brahma Kumaris Airajpur

अलीराजपुर सर्व धर्म सम्मेलन

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अलीराजपुर “21 जून अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस 2020”

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राजयोग  मानसिक तनाव को दूर कर  शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाता* है अलीराजपुर 21 जून मन के विकार, तनाव व चिंता को दूर करने का विशेष राजयोग दुनिया के 140 देशों में6 वे अन्तर्राष्ट्ीय योग दिवस पर योगा फॉर हेल्थ, योगा फ्रॉम होम इस वर्ष की थीम  पर स्थानीय ब्रह्माकुमारी संस्थान के द्वारा फतेह क्लब में मनाया गया। कोरोना के कारण संपूर्ण शहर वासियों के लिए इस कार्यक्रम का प्रसारण यूट्यूब और फेसबुक पर Live किया गया ।कोरोना के इस संकट के दौरान दुनिया भर के लोगों का इसे लेकर उत्साह बना है योग तन और मन की बीमारी ठीक करने की अचूक औषधि है। इसके माध्यम से शारीरिक मानसिक रोगों को संपूर्ण  रीति से नष्ट करने की शक्ति है। लेकिन मन में बढ़ते तनाव, डिप्रेसन और सकारात्मक चिंतन के लिए खास राजयोग है। यह विचार राजू के विशिष्ट अनुभवी ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने बताएं। इस अवसर पर योग के संचालक ब्रह्माकुमार लालू भाई ने म्यूजिकल योगा एक्सरसाइज अनेक प्रकार के प्राणायाम, अलोम विलोम, भ्रमरी, आसन की प्रैक्टिकल क्रियाओं के द्वारा योग का प्रदर्शन कराया गया एवं राज्यीग के बारे में बताया कि
राजयोग मन को साधने और परमात्मा में लगाने के आंतरिक क्रिया पर निर्भर करता है। इस राजयोग के अभ्यास से आंतरिक रुप में चमत्कारिक परिवर्तन आता है। खान पान रहन-सहन से लेकर व्यवहार में तेजी से बदलाव होता है।
अध्यात्म और मन के साधना का अदभुत समन्वय:  मन पर नियंत्रण इसका सबसे सफल और उपलब्धि के रुप में जाना जाता है। इससे ही व्यक्ति अपने विकारों पर नियंत्रण पाता है।
यह राजयोग केवल विशेष उम्र के लोगों के लिए नहीं बल्कि सभी वर्ग, उम्र के लोगों के लिए है। क्योंकि मन के विकार की कोई उम्र नहीं होती है। इसलिए इसके अभ्यास से चाहे बच्चा हो या बूढ़ा, अमीर हो या गरीब, स्त्री हो या पुरुष सबके लिए लाभप्रद है। इसका सबसे ज्यादा फायदा व्यक्तिगत, सामाजिक, पारिवारिक, पढऩे, लिखने वाले बच्चों के लिए ज्यादा फायदेमंद है। इससे महिलाओं में शक्ति स्वरुप की भावना का भी विकास होता है।
कभी भी कर सकते है राजयोग: राजयोग ध्यान केवल एक निर्धारित समय के लिए नहीं बल्कि हर वक्त कर सकते है। क्योंकि यह चिंतन और मानसिक होने के नाते हर वक्त करने से मन में बाहरी दूषित वातावरण का असर नहीं होता है। इससे मन में किसी भी प्रकार का विकार उत्पन्न नही होता है।
  इस राजयोग के अभ्यासी प्रतिदिन बीस लाख लोग करते है। इन 20 लाख लोगों के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव सहज ही देखने को मिल जायेंगे।
 इससे कार्यक्रम  में शहर के समाजसेवी मदन पोरवाल, डॉ कन्हैया लाल, अरुण गहलोत, उमेश वर्मा ,स्वरूप क्षीरसागर ,S S चौहान जी , हेमन्त कोठरी, अमरीश जी नगवाड़िया, लालू भाई (ॐशांति) ,जितेंद्र सिंह (भुरू)परिहार, जिगनेश सिसोदिया, पंकज राठौड़, पंकज  शिन्दे, हेमंत गोरना।गिरधर जी ठाकरे, स्वरूप,  भानु भाई बाहेती , आनंद सोलंकी( पार्षद),  राजेन्द्र सिंह राठौर
 हिस्सा लिया ।
म्यूजिकल योगा एक्सरसाइज में  नियम का पालन करते हुए अलग-अलग डिस्टेंस के साथ किया  गया
https://youtu.be/6WQQpXrpcRQ
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मूल्य निष्ट शिक्षा द्वारा श्रेष्ठ समाज की रचना प्रोग्राम

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अलीराजपुर ,असाडा राजपूत समाज की ओर से शहर में पांच दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का आयोजन

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अलीराजपुर ,असाडा राजपूत समाज की ओर से शहर में पांच दिवसीय बाल  व्यक्तित्व विकास शिविर का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर ब्रह्माकुमार नारायण भाई व ब्रम्हाकुमारी माधुरी बहन को निमंत्रित किया ।इंदौर से पधारे ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने मदर्स डे व बाल विकास शिविर में बताया कि बच्चों की आदर्श शिक्षक मा ही होती है जो बच्चों को संस्कारित करा के उच्च शिखर पर पहुंचा देती है ।इसीलिए भारत में ही गायन है तमसो मा ज्योतिर्गमय।हे मां मुझे अंधेरे से प्रकाश की ओर ले चलो। मां शब्द के अंदर आ शब्द छिपा हुआ है जो मां अपने बच्चों को आ शब्द से परिचित करा दे उस बच्चे में सभी देवी संस्कार, दिव्य शक्तियां जागृत हो जाती है ।आ शब्द स्वयं की चेतना से संबंध रखता है । आ का अर्थ है मैं शक्तिशाली आत्मा हूं । जब इस स्वरुप में स्थित हो जाते हैं तो हमारा विवेक जागृत हो जाता है ।विवेक जीवन में तब आता है जब सत्यता को धारण करते हैं ।आत्मा सत्य है अविनाशी है ।आ शब्द का दूसरा अर्थ अल्फ, परमात्मा हम सभी की मां परमात्मा है इसलिए परमात्मा के अंत में मां शब्द छिपा हुआ है ।इस तरह मा वह है जो स्वयं की पहचान करा दे, परमात्मा से संबंध जुड़ा दे तो वह बच्चा कभी भी कमजोर निर्मल नहीं हो सकता है। कहते भी है मां-बाप का दिल जीत लो कामयाब हो जाओगे, वरना सारी दुनिया जीत कर भी हार जाओगे। इस अवसर पर ब्रम्हाकुमारी माधुरी बहन ने कहा कि मां का फर्ज होता है बच्चों को ज्ञान अर्जित कराना सुसंस्कार देना। मां बच्चों के लिए सब कुछ सहन करके भी बच्चों को एक आदर्श बनाने में त्याग तपस्या की साधना करती रहती है। मां का कोई विकल्प नहीं। मां मां ही होती है मां के अंदर प्यार की सुगंध होती है ,जिस प्यार में बच्चा सब तकलीफ सहन करके हीरा बन जाता है। बच्चों के आंतरिक शक्तियों को जागृत करने के लिए मन को इतनी शक्ति देना कि लाइन बच्चों को याद कराई गई। असाडा राजपूत समाज के अध्यक्ष राजेश जी ने कहा कि बच्चों के विकास में मां की बड़ी भूमिका होती है मा के हर बोल ,कर्म का प्रभाव बच्चों पर निरंतर पड़ता रहता है। बच्चा मां के पास ज्यादा रहता है। हम बच्चों को बोलकर नहीं कर्म से अच्छी शिक्षा दें संस्कारित करा सकते हैं।

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