Brahma Kumaris Airajpur
अलीराजपुर ,असाडा राजपूत समाज की ओर से शहर में पांच दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का आयोजन

अलीराजपुर ,असाडा राजपूत समाज की ओर से शहर में पांच दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के तौर पर ब्रह्माकुमार नारायण भाई व ब्रम्हाकुमारी माधुरी बहन को निमंत्रित किया ।इंदौर से पधारे ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने मदर्स डे व बाल विकास शिविर में बताया कि बच्चों की आदर्श शिक्षक मा ही होती है जो बच्चों को संस्कारित करा के उच्च शिखर पर पहुंचा देती है ।इसीलिए भारत में ही गायन है तमसो मा ज्योतिर्गमय।हे मां मुझे अंधेरे से प्रकाश की ओर ले चलो। मां शब्द के अंदर आ शब्द छिपा हुआ है जो मां अपने बच्चों को आ शब्द से परिचित करा दे उस बच्चे में सभी देवी संस्कार, दिव्य शक्तियां जागृत हो जाती है ।आ शब्द स्वयं की चेतना से संबंध रखता है । आ का अर्थ है मैं शक्तिशाली आत्मा हूं । जब इस स्वरुप में स्थित हो जाते हैं तो हमारा विवेक जागृत हो जाता है ।विवेक जीवन में तब आता है जब सत्यता को धारण करते हैं ।आत्मा सत्य है अविनाशी है ।आ शब्द का दूसरा अर्थ अल्फ, परमात्मा हम सभी की मां परमात्मा है इसलिए परमात्मा के अंत में मां शब्द छिपा हुआ है ।इस तरह मा वह है जो स्वयं की पहचान करा दे, परमात्मा से संबंध जुड़ा दे तो वह बच्चा कभी भी कमजोर निर्मल नहीं हो सकता है। कहते भी है मां-बाप का दिल जीत लो कामयाब हो जाओगे, वरना सारी दुनिया जीत कर भी हार जाओगे। इस अवसर पर ब्रम्हाकुमारी माधुरी बहन ने कहा कि मां का फर्ज होता है बच्चों को ज्ञान अर्जित कराना सुसंस्कार देना। मां बच्चों के लिए सब कुछ सहन करके भी बच्चों को एक आदर्श बनाने में त्याग तपस्या की साधना करती रहती है। मां का कोई विकल्प नहीं। मां मां ही होती है मां के अंदर प्यार की सुगंध होती है ,जिस प्यार में बच्चा सब तकलीफ सहन करके हीरा बन जाता है। बच्चों के आंतरिक शक्तियों को जागृत करने के लिए मन को इतनी शक्ति देना कि लाइन बच्चों को याद कराई गई। असाडा राजपूत समाज के अध्यक्ष राजेश जी ने कहा कि बच्चों के विकास में मां की बड़ी भूमिका होती है मा के हर बोल ,कर्म का प्रभाव बच्चों पर निरंतर पड़ता रहता है। बच्चा मां के पास ज्यादा रहता है। हम बच्चों को बोलकर नहीं कर्म से अच्छी शिक्षा दें संस्कारित करा सकते हैं।
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अलीराजपुर “21 जून अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस 2020”

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अलीराजपुर : मस्तिष्क को कमजोर करता इलेक्ट्रॉनिक साधन -Summer Camp for Children

मस्तिष्क को कमजोर करता इलेक्ट्रॉनिक साधन साधनों का दुरुपयोग जीवन को श्रापित ब्रह्माकुमार नारायण भाई अलीराजपुर 14 मई, वर्तमान समय विज्ञानिक युग में अनेक इलेक्ट्रॉनिक साधन मानव को वरदान के रुप में दिए हैं परंतु जो मानव वरदानो का दुरुपयोग करता वह वरदान भी श्राप बन जाता। इनमें अच्छी सूचनाएं भी होती है और मन को भटकाने वाले कुविचार ।इन से निकलने वाली बुरी तरंगे मस्तिष्क व शरीर पर बुरा प्रभाव डाल रही है, जो बच्चे इन पर लंबा समय व्यतीत करते उनके मन की स्पीड फास्ट हो जाती उनके मस्तिष्क की शक्ति क्षीण होती रहती है। एकाग्रता उनके लिए किसी अन्य जन्म की बात रह जाती। पढ़ाई लिखाई में अच्छे नहीं बन पाते हैं। जिन मां बाप ने बच्चों के हाथों में मोबाइल थमा दिया समझ लें उन्होंने उनकी मौत का आह्वान कर लिया। उसकी बुद्धि का विकास रुक गया। बच्चों का मस्तिष्क नाजुक होने के कारण जल्दी सिकुड़ने लगता है। इसीलिए बच्चे अनेक मानसिक रोग के शिकार चिड़चिड़ापन ,भूल जाना, बार-बार एक बात को रिपीट करना, याददाश्त की कमी, इत्यादि रोग तेजी से फैलते जा रहे हैं। यह विचार दीपा की चौकी में ब्रह्मा कुमारी द्वारा आयोजित बच्चों के सर्वांगीण विकास कार्यक्रम बाल व्यक्तित्व शिविर में इंदौर से पधारे ब्रह्माकुमार नारायण भाई ने कहीं photo No. 185711 ।सेवा केंद्र संचालिका ब्रम्हाकुमारी माधुरी ने कहा रात को बच्चे टीवी देख सोते हैं जिससे उनकी निद्रा भी डिस्टर्ब हो रही है। बच्चे गहरी नींद नहीं ले पाने के कारण वह सब कुछ भूलता जा रहा है। रात को सोते समय परमात्मा से गुड नाइट करें सवेरे उठते समय गुड मॉर्निंग करें तो बच्चे ऊर्जावान, प्रतिभावान बन सकते हैं। photo No 190555 छकतला से पधारे प्रिंसिपल सत्येंद्र जी ने कहा कि बच्चों को अपने से बड़ों का आदर सम्मान करना चाहिए और विद्यार्थियों में आपसी प्यार रहना चाहिए। जिससे आत्म शांति, संतुष्टि मिलती है ।बुद्धि का विकास होता है ।आज विद्यार्थी गुणों को छोड़ अवगुणों की तरफ ज्यादा आकर्षित हो रहा है जिसका कारण टीवी, मोबाइल, इंटरनेट, सोशल मीडिया ।राजयोग का अभ्यास प्रत्येक विद्यार्थी को करना चाहिए जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके। photo No 193120 समाजसेवी मदन पोरवाल ने कहा कि क्रोध मानव का सबसे बड़ा दुश्मन है इससे बुद्धि का विनाश हो जाता है ।जबकि अच्छी सफलता में शांति का बड़ा हाथ होता है। बच्चे अगर क्रोध का त्याग कर दे, वह मन को शांत राजयोग के माध्यम से कर ले तो वह बच्चा अपने लक्ष्य तक पहुंच सकता है। आज बच्चों को शिक्षा तो दी जा रही है लेकिन सुसस्कारित नहीं किया जा रहा है। इसलिए ऐसे शिविर की आवश्यकता वर्तमान में बढ़ती जा रही है। photo No 190830 भ्राता अरुण गहलोत ने कहा कि बच्चे दिल के सच्चे होते हैं वह सब कुछ मां-बाप से सीखते हैं। अतः बच्चों को चरित्रवान, ऊर्जावान बनाने में मां-बाप अपने बोल करम पर ध्यान रखें। बच्चों को गीत, संगीत, चेयर रेस, वाद विवाद प्रतियोगिता, ग्रुप डांस भी कराया गया। अंत में एकाग्रता के लिए राजयोग की ट्रेनिंग व प्रैक्टिस भी कराई गई।।
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Benar
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